संघर्षों से मिली आजादी को भीख में मिली कहना नासमझी

नरेंद्र तिवारी 'पत्रकार' | पब्लिक एशिया
Updated: 15 Nov 2021 , 15:59:33 PM
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 फ़िल्म अभिनेत्री कंगना रनोत को भारत राष्ट्र की 15 अगस्त 1947 में मिली आजादी भीख में मिली प्रतीत हो रहीं है। उनका यह बयान राष्ट्रीय अस्मिता ओर मूल्यों के खिलाफ है। देश की आजादी,राष्ट्रीय प्रतीक,स्वतंत्रतता आंदोलन से जुड़े नेता,राष्ट्रीय ध्वज,राष्ट्रीय गान ओर राष्ट्रीय स्मारक सभी भारतीयों की आस्था, गौरव ओर गरिमा के प्रतीक है। इनके विषय में किसी भी व्यक्ति को नकारात्मक टिप्पणी का हक नहीं है। हर वर्ष 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर पर भारत देश के प्रधानमंत्री यूँ ही तिरंगा नही फहराते। यह रस्म मात्र परम्परा की पूर्ति भर नहीं है।

यह भारत की अस्मिता के निर्माण का दिवस है। यह 200 बरसो से अंग्रेजों की हुकूमत से मुक्ति का महान दिन है। जिसे लम्बे संघर्ष के बाद प्राप्त किया जा सका है। देश आजादी का अमृत महोत्सव बना रहा है। इस अमृत महोत्सव में आजादी के बलिदानों,नेताओ प्रतीकों को याद किया जा रहा है। आजादी के वीरों शहीदों ओर बलिदानियों की कहानी नई पीढ़ी को सुनाई जा रहीं है। स्वतंत्रता प्राप्ति के इतिहास से नवीन पीढ़ी को अवगत कराया जा रहा है। जिससे इस पीढ़ी में राष्ट्रीय संस्कार का निर्माण हो सके।

 कंगना एक फिल्मी अभिनेत्री है, जिन्हें फिल्मों में श्रेष्ठ अभिनय के कारण भारत सरकार ने पदम् श्री पुरुस्कार से भी सम्मानित किया है। पुरुस्कार प्राप्त होने के दो दिन बाद कंगना ने भारत की 15 अगस्त 1947 में मिली आजादी को भीख में मिली आजादी बताया,आगे बढ़ते हुए उन्होंने कहा कि असली आजादी 2014 में प्राप्त हुई है। उनके इस बयान पर उन्हें तीखी प्रतिक्रियाओं का सामना करना पड़ रहा है। कंगना रनोत के बयान पर कवि कुमार विश्वास ने अपनी प्रतिक्रिया में लिखा "आजादी महान देशों को अनगिनत शहादतों से मिलती है। हमें आपको मिली है तो इसका आदर करिए ओर इसे अक्षुण्ण रखने का सोचिए।" सांसद वरुण गांधी,जीतन राम मांझी,शिवसेना नेता प्रिंयका चतुर्वेदी सहित कांग्रेस,भाजपा समाजवादी,शिवसेना आदि दलों ने भी इस बयान की निंदा की है।

कंगना के आजादी के संदर्भ में दिए बयान के बाद उन्हें चहुंओर से प्रतिक्रियाएं मिल रही है। उनके विरुद्ध प्रकरण दर्ज कराने की मांग की जा रही है। पदम् श्री पुरुस्कार वापिस लिए जाने की मांग भी की जा रही है।  असल मे 15 अगस्त 1947 को मिली आजादी लम्बे संघर्षों ओर बलिदानों के बाद मिली है। इस आजादी को प्राप्त करने  के लिए अनगिनत शहीदों ने अपनी कुर्बानियाँ दी है। गौरी सरकार के जुल्मों की लंबी दासता के बाद लाल किले की प्राचीर पर भारतीय राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा लहरा पाया है। एक अभिनेत्री का 1947 की आजादी को नकली ओर भीख में मिली आजादी कहना उसकी कमअक्ली ओर बदजुबानी का उदाहरण है।

कवि कुमार विश्वास ने सही ही कहा कि आजादी को अक्षुण्ण रखना होगा, यह कार्य हम सबका है। किसी राजनैतिक दल या नेता की भक्ति के लिए राष्ट्रीय प्रतीकों ओर मूल्यों के अपमान की इजाजत किसी को नहीं दी जा सकती है। देश ने किसान आंदोलन के समय देखा जब किसानों की उग्र भीड़ ने लालकिले की प्राचीर पर चढ़कर तिरंगे के स्थान पर अन्य झंडा फहरा दिया था। देश ने एक स्वर में इस घटना का विरोध किया था। इन आपराधिक तत्वों पर कड़ी कार्यवाहीं की गई। अभिनेत्री कंगना रनोत ने फ़िल्म मणिकर्णिका में रानी लक्ष्मीबाई का किरदार निभाने के बावजूद भी भारत के स्वतंत्रता दिवस को भीख में मिली आजादी कहा है।

यह बयान उनमें राष्ट्रीय संस्कार की कमी को दर्शाता है। फिल्मी किरदार निभाने भर से ही किसी में राष्ट्रप्रेम ओर राष्ट्रभक्ति की समझ नही आ जाती है। महज किसी दल,नेता ओर सत्ता का पक्ष लेना उनकी तारीफ करना आपका निजी हक है। इस अधिकार का इस्तेमाल आप एक सीमा में कीजिये। राष्ट्र के सम्मान बिंदुओं पर नकारात्मक टिप्पणी बर्दास्त नहीं कि जा सकती है। देश की आजादी में सभी धर्म जाति सम्प्रदायों ओर प्रान्तों की भूमिका रहीं है। किसी की भूमिका को कमतर आंकने के इन विध्वंसकारी विचारों  पर नियंत्रण की आवश्यकता है। 15 अगस्त अंग्रेजो की हिंसा और क्रूर शासन प्रणाली के अंत का दिन है। क्रूरता आजादी के दीवानों के साथ तो की ही जाती थी। इस क्रूरता का शिकार आमजन भी हुआ करते थे। 13 अप्रैल 1919 का दिन अंग्रेजों की क्रूरता की इंतहा थी। पंजाब के अमृतसर के जलियांवाला बाग में रोलेट एक्ट के विरोध में हजारों लोग एकत्रित हुए जो अंग्रेजो के काले कानूनों का विरोध कर रहे थै। बड़ी संख्या में एकत्रित भीड़ पर क्रूर जनरल डायर ने फायरिंग के आदेश दे दिए।

अंग्रेज सैनिकों ने शांतिपूर्ण विरोध कर रहें भारतीयों पर 1600 से अधिक राउंड फायर किए जिसमे 400 से अधिक भारतीय मारें गए थै, हजारो भारतीय नागरिक घायल हुए थै। जनरल डायर ने शान्तिपूर्व प्रदर्शन कर रहीं भीड़ को बचने का कोई मौका नहीं दिया बल्कि उन स्थानों पर गोलियां चलाने के निर्देश दिए जहां भीड़ अधिक मात्रा में एकत्रित थी। जलियांवाला बाग अंग्रेजों की क्रूरता की कहानी बयान करता है।

ऐसे अनेको किस्से स्वतंत्रता के इतिहास में वर्णित है। स्वतंत्रता के आंदोलन में महात्मा गांधी,जवाहरलाल नेहरू,सरदार वल्लभ भाई पटेल, मौलाना अबुल कलाम आजाद,मदन मोहन मालवीय,सुभाष चंद्र बोस,भगत सिंह,चन्द्र शेखर आजाद,डाक्टर भीमराव अम्बेडर,बाल गंगाधर तिलक,लाला लाजपत राय,रविन्द्र नाथ टैगोर सहित सैकड़ों नेताओं की अपनी-अपनी भूमिका रहीं है। सबकी अपनी विचारधारा और लड़ाई का तरीका था। सबका लक्ष्य एक था, भारत को आजादी दिलाने की सबकी अपनी कोशिशें थी। देश आजाद भी हुआ अब जब हम आजादी का अमृत महोत्सव बना रहे है, तब एक महान दिवस पर प्रश्न खड़े करना अभिनेत्री कंगना का नासमझी भरा बयान है। कंगना को राष्ट्रीय मूल्यों से तमीज से पेश आना चाहिए। आपको किसकी भक्ति करना है, किसका गुणगान करना है,किसकी चरण वंदना करना है। यह आपका निजी अधिकार है,किन्तु राष्ट्र के प्रतीकों के बारे अनावश्यक बहस को जन्म देना आपके असंस्कारित होने का प्रतीक है। देश की आमजनता इस बयान से दुखी है। आजादी को अक्षुण्ण रखना सभी भारतीय नागरिकों का कार्य है। इन सम्मान प्रतीकों का अपमान करना माफी योग्य नहीं है।
  




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