मुज़फ्फरनगर : मुज़फ्फरनगर की कृषि उत्पादन मंडी समिति अपने गुड की मिठास और कारोबार को लेकर एशिया की प्रसिद्ध गुड मंडी मानी जाती थी जो आज सरकार की नीतियों के चलते वीरान होती नजर आ रही है। इस गुड मंडी की सडको पर गुड से भरे किसानो के ट्रेक्टर ट्रालियों का जमावड़ा रहता था जो की आज वीराने में तब्दील होता नजर आ रहा है, क्योकि, जनपद मुज़फ्फरनगर के कोल्हुओं में गुड बनाना शुरू हो गया है, वंही एक अक्टूबर से गुड का नया सत्र भी शुरू हो चूका है।
लेकिन किसान अपना गुड मंडी में न बेचकर मंडी से बाहर अपना गुड व्यापारियों को बेच रहा है। मंडी में गुड की आवक कम होने से से जंहा व्यापारी परेशान है वंही मंडी समिति से जुड़े मजदूर पल्लेदार भी काफी संख्या में रोजगार न होने के कारण इन मंडियों से पलायन कर चुके है। मुज़फ्फरनगर की कृषि उत्पादन मंडी समिति अपनी गुड की मिठास और और कारोबार के हिसाब से एशिया में प्रसिद्ध है , इस मंडी से निकलने वाला गुड राजस्थान,महाराष्ट्र, गुजरात और अन्य राज्यों में भेजा जाता था।
गुड बनाने वाले कोल्हुओं में अलग अलग प्रकार के चाकू, लड्डू खुरपा पाड़ , शक्कर मसाला इत्यादि प्रकार के गुड़ व्यापारी खरीदकर बहार एक्सपोर्ट करता था। बहुआयामी क्षेत्र फल वाली इस मंडी में गुड के भरे ट्रक और ट्रेक्टर ट्रालियां इस मंडी की शान होती थी लेकिन आज इस मण्डी की लम्बी और चौड़ी सड़के गुड के बिना सुनसान और वीरान हो गयी है।
एक अक्टूबर से गुड का नया स्तर शुरू हुआ है लेकिन 40,000 गुड के कट्टे प्रतिदीन मण्डी में आवक की जगह मात्र ढाई से तीन हजार कट्टे की आवक इस मंडी में हो रही है। जिसका मुख्य कारण प्रदेश सरकार द्धारा किसानो को अपना माल बेचने की खुली आज़ादी दी है वंही मण्डी व्यापारीयो पर ढाई प्रतिशत शुल्क लगाया गया है, जिस कारण किसान अपना माल मण्डी में बेचने के लिए लता ही नहीं बल्कि बाहर ही अपना माल बेच देता है।
जिस कारण मण्डी का व्यापारी बहुत परेशान है तो वंही रोजगार न मिलने पर पल्लेदार भी घर चलाने को मजबूर दिखाई दे रहा है जब तक सरकार मंडी शुल्क नहीं हटाएगी तब तक किसान नहीं बेचेगा अपना माल मण्डी में गुड खांड़सारी एसोसिएसन के अध्यक्ष संजय मित्तल का कहना है देखिए 1 तारीख से 1 अक्टूबर से गुड़ का नया सत्र शुरू हुआ है लेकिन इस साल हमारे यंहा गुड बहुत कम आ रहा है। मंडी में ढाई से तीन हजार मन कि आमदनी मंडी में आ रही है।
इसका मुख्य कारण यह है गुड कि आमदनी कम होने का मुख्य कारन यह है की सरकार की गलत नीतियों के चलते उत्तर प्रदेश सरकार ने मंडी के बाहर से ढाई प्रतिशत शुल्क समाप्त किया है और मंडी के अंदर व्यापारियों पर ढाई प्रतिशत शुल्क लगाया गया है। इसलिए ढाई से तीन हजार कट्टे ही मंडी के अंदर आ रहे है। जबकि 12 से 14000 तक कट्टे यहां पर आने चाहिए। इस जनपद में लगभग 3000 गुड बनाने वाले कोल्हू हैं यदि सब का माल इसी मंडी में आता है तो 40000 कट्टे इस मंडी में आएंगे . जिस तरह से सरकार ने गुड़ मंडी के बाहर से शुल्क समाप्त किया है
इसी तरह मंडी के अंदर भी व्यापारियों को पर लगाया कर शुल्क समाप्त होना चाहिए वरना यह किसान मंडियों का रास्ता भूल कर धीरे-धीरे मंडिया जंगल बनकर रह जाएँगी यहां सब व्यापारी और मजदूर पल्लेदार बहुत तंगहाली के अंदर हैं और ढाई हजार कट्टों में किसी मंडी में जो व्यापारी है ना उनका गुजारा चलता है ना मुनीम का चलता है और न ही मजदूरों का चलता है मंडी समिति की सारी फर्म प्रभावित हुई हैं। पल्लेदार तो इस मंडी में गिनती के रह गए हैं एक एक फर्म पर 60 - 60 पल्लेदार दुकानों पर रहते थे।
आज की स्थिति में एक दो पल्ले दार ही दुकान पर देखने को मिलता है यह स्थिति आज मंडी के अंदर हो गई है। यदि सरकार चाहेगी तो तो ढाई प्रतिशत का शुल्क मंडी से समाप्त करें तो किसान मंडी के अंदर आएगा और अपना माल बेचना शुरू करेगा।
काम न होने पर पलायन कर गए अन्य राज्यों के पल्लेदार
मीरहसन पल्लेदार का कहना है की आज की स्थिति में पल्लेदार मजदूर बेरोजगार हो गया , यंहा कोई काम नहीं रह गया , पहले राजस्थान और हरयाणा का बहुत पल्लेदार रहता था जो वापस चला गया इसका मुख्य कारण यह है की माल बहार ही बिकता है मंडी के अंदर नहीं आता अब गुड जिस कारण व्यापारी और पल्लेदार बहुत परेशान है , सारा कारोबार खत्म हो गया घर चलाना भी बहुत मुश्किल हो गया।
ब्यूरो रिपोर्ट : शमीम सैफी, मुजफ्फरनगर
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