सियाचिन पर पहुंची दिव्यांग टोली, बरेली की शिक्षिका दीपमाला पांडे का जिक्र हुआ मन की बात में

संवाद सहयोगी | पब्लिक एशिया
Updated: 26 Sep 2021 , 21:40:40 PM
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नयी दिल्ली। प्रधामंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने रेडिया संबोधन मन की बात की 81वीं कड़ी में रक्त जमादेने वाली ठंड और दुर्गम राह वाले सियाचिन ग्लेशियर पर चढ़ाई करने वाले दिव्यांगजनों की टोली के सदस्यों के साहस को याद किया।

आज प्रसारित मन की बात कार्यक्रम में  मोदी ने दिव्यांगों के कल्याण के प्रयास में लगी उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में एक स्कूल की प्रधानाध्यपिका दीपमाला पांडे को भी याद किया।

उन्होंने कहा कि दुर्ग सियाचिन ग्लेशियर इलाके में तापमान शून्य से 60 डिग्री सेल्सियस नीचे तक चला जाता है। इस दुर्गम इलाके में आठ दिव्यांगजनों की टीम ने 15 हज़ार फुट से भी ज्यादा की ऊंचाई पर स्थित ‘कुमार पोस्ट’ पर अपना परचम लहराकर विश्व कीर्तिमान बना दिया है।

इस टोली में महेश नेहरा, उत्तराखंड के अक्षत रावत, महाराष्ट्र के पुष्पक गवांडे, हरियाणा के अजय कुमार, लद्दाख के लोब्सांग चोस्पेल, तमिलनाडु के मेजर द्वारकेश, जम्मू-कश्मीर के इरफ़ान अहमद मीर और हिमाचल प्रदेश की चोन्जिन एन्गमो शामिल थे। उनको इस अभियान में भारतीय सेना के विशेष बलों के पुराने सैनिकों की मदद मिली।

मोदी ने कहा कि मैं इस ऐतिहासिक और अभूतपूर्व उपलब्धि के लिए इस दिव्यांग टोली की सराहना करता हूँ। उन्होंने कहा कि उनका यह करतब हमारे देशवासियों के “हम कर सकते हैं की संस्कृति, संकल्प और उत्साह” लिए एक मिशाल बनेगा।

उन्होंने देश में दिव्यांगजनों के कल्याण के लिए चल रहे प्रयासों का उल्लेख करते हुए कहा कि उत्तरप्रदेश में हो रहे ऐसे ही एक प्रयास-एक शिक्षक, एक फोन-काल' की बात की बरेली में यह अनूठा प्रयास दिव्यांग बच्चों को नई राह दिखा रहा है। इस अभियान का नेतृत्व कर रही हैं डभौरा गंगापुर में एक स्कूल की प्रधानाध्यापिका दीपमाला पांडेय जी।

कोरोना काल में इस अभियान के कारण न केवल बड़ी संख्या में बच्चों का एडमिशन संभव हो पाया बल्कि इससे करीब 350 से अधिक शिक्षक भी सेवा-भाव से जुड़ चुके हैं।

ये शिक्षक गाँव-गाँव जाकर दिव्यांग बच्चों को पुकारते हैं, तलाशते हैं और फिर उनका किसी-न-किसी स्कूल में दाखिला सुनिश्चित कराते हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “मैं, दिव्यांगजनों के लिए दीपमाला जी और साथी शिक्षकों की इस नेक प्रयास की भूरी-भूरी प्रशंसा करता हूँ। शिक्षा के क्षेत्र में ऐसा हर प्रयास हमारे देश के भविष्य को संवारने वाला है।”





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