सीएए प्रदर्शनःसुप्रीम कोर्ट की चेतावनी पर उप्र सरकार ने वसूली नोटिस वापस लिये

Swati Verma | Public Asia
Updated: 18 Feb 2022 , 15:58:48 PM
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नयी दिल्ली।उच्चतम न्यायालय की चेतावनी के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने शुक्रवार को शीर्ष अदालत को बताया कि उसने नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान प्रदर्शनकारियों को भेजे गए वसूली से संबंधित नोटिस वापस ले लिये हैं।

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्य कांत की पीठ के समक्ष सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने कहा कि कारण बताओ नोटिस वापस ले लिए गए हैं। शीर्ष अदालत ने सरकार को आदेश दिया कि जिन प्रदर्शनकारियों से बिना उचित सुनवाई के सार्वजनिक क्षतिपूर्ति की वसूली की गई है, उन्हें रकम वापस कर दी जाये। साथ ही अदालत ने यह भी कहा कि इस मामले में क्लेम ट्रिब्यूनल के फैसले के आधार पर राज्य सरकार कानून के तहत आगे की कार्रवाई के लिए स्वतंत्र है।

सरकार का पक्ष रख रहीं एडिशनल एडवोकेट जनरल गरिमा भटनागर ने पीठ के समक्ष कहा, "हमने अदालतों की टिप्पणियों का सम्मान किया है तथा सभी कारण बताओ नोटिस वापस ले लिए गए हैं। इस संबंध में संबंधित जिलाधिकारियों को भी अवगत करा दिया गया है। सभी 274 फाइलें क्लेम ट्रिब्यूनल को भी भेजी गईं।"

सरकार के जवाब पर न्यायमूर्ति सूर्य कांत ने कहा, "हम इस रुख की सराहना करते हैं।''

शीर्ष अदालत ने स्पष्ट करते हुए कहा कि हमारे फैसले का अर्थ यह था कि सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान होने पर जवाबदेही होनी चाहिए।"

पीठ ने सीएए के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान सार्वजनिक संपत्तियों को कथित नुकसान की भरपाई संबंधी वसूली नोटिस वापस लेने के लिए 11 फरवरी को उत्तर प्रदेश सरकार को चेतावनी देते हुए आखिरी मौका दिया था। पीठ ने कहा था कि यदि वसूली नोटिस वापस नहीं लिए गए तो वह उन्हें कानूनी रूप से रद्द कर देगी।

पीठ ने राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील से कहा था कि उसने (सरकार ने) आरोपी की संपत्तियों को कुर्क करते समय एक "शिकायतकर्ता, निर्णायक और अभियोजक" की तरह काम किया। सर्वोच्च अदालत ने कहा था कि दिसंबर 2019 में शुरू की गई कार्यवाही शीर्ष अदालत द्वारा निर्धारित कानून के विपरीत थी।

पीठ ने कहा था, "कार्यवाही वापस ले लें या हम इस अदालत द्वारा निर्धारित कानून का उल्लंघन करने के लिए इसे रद्द कर देंगे।"

राज्य सरकार को कानून के तहत उचित प्रक्रिया का पालन करने का निर्देश देते हुए कहा, "कृपया इसकी जांच करें, हम 18 फरवरी तक एक अवसर दे रहे हैं।"

दिसंबर 2019 में सीएए प्रदर्शनकारियों को सार्वजनिक संपत्तियों को कथित रूप से नुकसान पहुंचाने के लिए वसूली के वास्ते नोटिस जारी किये गए थे।

सरकार की ओर से गरिमा प्रसाद ने सुनवाई के दौरान कहा था कि 800 से अधिक कथित दंगाइयों के खिलाफ 100 से अधिक प्राथमिकी दर्ज की गईं। उनके खिलाफ 274 वसूली नोटिस जारी किए गए थे। उन्होंने कहा कि 236 में वसूली आदेश पारित किए गए जबकि 38 मामलों को बंद कर दिया गया।





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