सी.बी.आई. ने बेअदबी मामलों की फाइलें पंजाब पुलिस को सौंप दी

naeem khan | पब्लिक एशिया
Updated: 04 Feb 2021 , 19:24:29 PM
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                              दस्तावेज़ सौंप देने से साबित हो गया कि दबाव में काम कर रही थी केंद्रीय जांच एजेसी- अमरिंदर सिंह

चंडीगढ़, 4 फरवरी। शिरोमणि अकाली दल द्वारा केंद्र सरकार से नाता तोड़ लेने के कुछ महीनों के अंदर ही केंद्रीय जांच ब्यूरो  ने गुरुग्रंथ साहिब की बेअदबी के मामलों से जुड़े दस्तावेज़ पंजाब पुलिस के हवाले कर दिए हैं। इस पर पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि इससे यह साबित हो गया है कि अकाली दल इन मामलों में अपनी लिप्तता ज़ाहिर होने से बचने के लिए ये दस्तावेज सौंपे जाने में रोड़े अटका रहा था।
पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट द्वारा तय अंतिम तिथि बीतने से कुछ घंटे पहले सी.बी.आई. ने बेअदबी मामले के दस्तावेज़ और फाइलें पंजाब पुलिस को सौंप दी ।  ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन के डायरैक्टर ने 18 जनवरी को सी.बी.आई. के डायरैक्टर को पत्र लिखकर कहा था कि सी.बी.आई. से बेअदबी मामलों की जांच वापस लेने के बाद बिना किसी देरी के राज्य सरकार को समूचा रिकार्ड वापस किया जाये और इसके साथ-साथ सी.बी.आई. को 2 नवंबर, 2015 को जारी नोटिफिकेशन नंबर 7/52113-एच/619055/1 के अंतर्गत स्थानांतरित किये गए मामलों मै जुटाए गर सबूतों समेत सारा रिकार्ड भी लौटाया जाये।
     मुख्यमंत्री ने सी बी आईं द्वारा रिकॉर्ड लौटाए जाने को राज्य सरकार की जीत बताते हुए कहा कि इससे  सरकार के उस रुख की भी पुष्टि हो गई कि  सी.बी.आई. की ओर से अकाली दल के इशारे पर पंजाब पुलिस की विशेष जांच टीम (एस.आई.टी.) द्वारा की जा रही जांच में रुकावटें पैदा करने की कोशिशें की गई थीं क्योंकि सितम्बर, 2020 तक अकाली दल केंद्र में एन.डी.ए. का सहयोगी था।
कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि अब यह स्पष्ट हो गया कि हरसिमरत बादल, केंद्रीय मंत्री के नाते केंद्रीय जांच एजेंसी पर दबाव बना रही थीं कि मामले की फाइलें पंजाब पुलिस को न सौंप कर एस.आई.टी. की जांच में रोड़े अटकाए जाएँ क्योंकि वे जानते हैं कि यदि पुलिस जांच को कानूनी नतीजे पर ले गई तो इस समूचे घटनाक्रम में उनकी पार्टी की भूमिका का पर्दाफाश हो जायेगा।
कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि अब एस.आई.टी. की जांच पूरी हो जाने पर साल 2015 की घटनाओं में अकाली दल का हाथ होने और उसके बाद निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच में रुकावटें पैदा करने  का पर्दाफाश हो जायेगा। उन्होंने ऐलान किया कि किसी को भी बक्शा नहीं जायेगा, चाहे वह किसी भी राजनैतिक पक्ष के साथ सम्बन्धित हो या कोई भी रुतबा क्यों न रखता हो। उनकी सरकार ने साल 2018 में ही विधानसभा में व्यक्त की गई सर्वसम्मति के बाद बेअदबी मामलों की जांच के लिए सी.बी.आई. को दी अनुमति वापस ले ली थी। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस बारे में जांच के लिए उस समय एस.आई.टी. का गठन भी किया गया था। उन्होंने  कहा कि केंद्रीय एजेंसी ने दो वर्षों तक लगातार राज्य को सम्बन्धित फाइलें सौंपने से इन्कार कर दिया और  पहले क्लोजऱ रिपोर्ट दाखि़ल करने के बावजूद सितम्बर, 2019 में एक नयी जांच टीम बना दी जिसका मकसद राज्य सरकार को निष्पक्ष और तेज़ी के साथ जांच करने से रोकना था।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हैरानी की बात यह है कि हाई कोर्ट की तरफ से जनवरी, 2019 में राज्य सरकार के फ़ैसले को बरकरार रखे जाने के बाद भी सी.बी.आई. द्वारा इस मामले की डायरियाँ सौंपने से इन्कार कर दिया गया और फरवरी, 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फ़ैसले को चुनौती देने वाली सी.बी.आई. की अपील रद्द कर दी। मुख्यमंत्री ने सवाल किया कि अकाली, दल  द्वारा राजनैतिक दबाव डाले  बिना सी.बी.आई. के  इस तरह व्यवहार करने का और क्या कारण हो सकता है।
जून से अक्तूबर 2015 दौरान फरीदकोट के गाँव बुर्ज जवाहर सिंह वाला में एक गुरुद्वारा साहिब से पवित्र श्री गुरु ग्रंथ साहिब  का स्वरूप चोरी होने के बाद पवित्र ग्रंथ की बेअदबी की घटनाएँ सामने आईं थीं और फरीदकोट के ही बरगाड़ी में श्री गुरु ग्रंथ साहिब  के बेअदबी किये पवित्र अंग मिले थे। इससे सिख भाईचारे में बड़े स्तर पर रोष फैल गया था।
इन घटनाओं के कारण अक्तूबर, 2015 में व्यापक स्तर पर धरने और रोष प्रदर्शन किए गए। पुलिस की तरफ से जवाबी कार्यवाही के चलते 2 व्यक्तियों की मौत हो गई और कई ज़ख्मी हुए। साल 2015 में ही उस समय की अकाली सरकार ने बेअदबी मामलों की जांच सी.बी.आई. को सौंप दी थी। सेवामुक्त जस्टिस ज़ोरा सिंह कमीशन की नियुक्ति की गई जिससे बेअदबी के इन मामलों और धरनों के समय पुलिस की तरफ से की गई कार्यवाही की जांच की जा सके। साल 2016 में सरकार को रिपोर्ट सौंप दी गई। साल 2017 में कांग्रेस सरकार के सत्ता में आने के बाद सेवामुक्त जस्टिस ज़ोरा सिंह की रिपोर्ट को किसी निष्कर्ष पर पहुँचते न मानते हुए सरकार ने सेवामुक्त जस्टिस रणजीत सिंह कमीशन का गठन किया जिसने अपनी रिपोर्ट साल 2018 में सौंपी थी।





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