हर्बल पेड़ों द्वारा प्रदूषण से मुक्ति दिलाएगी योगी सरकार

के. पी. मलिक | लेखक वरिष्ठ पत्रकार
Updated: 11 Jul 2022 , 18:13:28 PM
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पिछले पांच साल में पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में हासिल उपलब्धि की गति को और तेज करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार अपने दूसरे कार्यकाल में बड़े पैमाने पर प्रदेश में पौधरोपण के अपने मिशन को आगे बढ़ाएगी। प्रदेश सरकार, खास तौर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का सपना है कि संपूर्ण उत्तर प्रदेश पश्चिमी उत्तर प्रदेश की तर्ज पर हरित प्रदेश बने। क्योंकि सरकार पूरे प्रदेश को प्रदूषण से मुक्त करने के साथ साथ लोगों की सेहत दुरुस्त करने की दिशा में काम करने के लिए जुटी हुई है, जिसके लिए पेड़ों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है।

प्रदेश में हरियाली बढ़ने से बारिश भी अच्छी हुआ करेगी, जिससे भूजल स्तर को बढ़ाने और जल संचय का सरकार सपना भी साकार होगा और प्रदेश के हर इलाके में हरियाली भी बढ़ेगी। हरियाली बढ़ाने के लिए सरकार उन पौधों को अधिक से अधिक रोपने का काम करने जा रही है, ऑक्सीजन यानि प्राणवायु देने के साथ खाने और उपयोग में लाने योग्य फल-फूल भी दें और आरोग्यदायक औषधियां भी प्रदान करते रहें।

अभी तक फल-फूल और औषधीय पौधों का दायरा कहीं-कहीं, वह भी घरों के आंगनों तक या बागों तक ही सीमति था, लेकिन अब सरकार इन फल-फूल और औषधीय गुणों वाले पौधों के दायरे को घर के अहातों, बागों और जंगलों से आगे बढ़ाते हुए सड़कों के दोनो किनारों पर खाली पड़ी जमीन पर भी लगाएगी, ताकि सड़क मार्गों को हर्बल मार्ग के रूप में भी विकसित किया जा सके।

पूरे प्रदेश में ऐसे कई हर्बल मार्ग तैयार होंगे। ये हर्बल मार्ग बनाने का मुख्य उद्देश्य लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी पावर) को बढ़ाकर उसे बेहतर करने के साथ-साथ पर्यावरण को शुद्ध रखना है। हालांकि हर्बल मार्गों को विकसित करने के लिए अलग से कोई धन आवंटन निर्गत नहीं किया गया है, बल्कि मौजूद संसाधन से ही जनहित व स्वास्थ्यवर्धन का यह कार्य कराया जा रहा है। हर्बल मार्गों पर विभिन्न औषधीय वृक्षों के होने से वायु प्रदूषण में कमी आएगी, साथ ही आम लोगों को औषधि, फल और फूल भी प्राप्त होंगे। 


हम जब छोटे थे, तो बड़े बुजुर्ग कहा करते थे कि जो भी फल खाओ, उसके बीज और गुठलियों को जमीन में दबा दो, ताकि फलों के नए पेड़ उगें। इसी तरह औषधियों के पौधों को भी घर के आंगन में लगाया जाता था। अब वह चलन कम हो गया गया है। कुछ लोग, जिन्हें इस बात का एहसास है कि पेड़-पौधों का हमारे जीवन में कितना ज्यादा महत्व है, फलों को खाने के बाद उनकी गुठलियां और बीजों को पार्कों में, सड़कों के किनारे खाली पड़ी जगहों पर डाल देते हैं, ताकि उनसे एक नए पौधे का जन्म हो सके, जो आगे जाकर पेड़ बने और आने वाली पीढ़ियों को फल-फूल तथा औषधि दे सके।

अगर देश के हर नागरिक की यही सोच हो जाए, तो पिछले कुछ दशकों में पेड़ों की संख्या में जो कमी आई है, वह आने वाले पांच साल में ही पूरी की जा सकती है। साथ ही देश में फल-फूल और औषधियों का भंडार बढ़ेगा, जिसका निर्यात दुनिया भर में किया जा सकता है। 


बहरहाल, उत्तर प्रदेश सरकार के लोक निर्माण विभाग ने हर्बल मार्गों के लिए जिन पौधों का चयन किया है, उनमें मासपर्णी, सप्तपर्णी, रतनजोत (जत्रोफा), जल नीम, छोटा नीम, सहजन, मेंथा, लेमन ग्रास, भृंगराज, मुई, आंवला, ब्राह्मी, तुलसी, अनन्तमूल, ग्वारपाठा, अश्वगंधा, हल्दी के अलावा बरगद, पीपल, पाकड़, नीम के साथ ही बेल, आंवला, आम, कटहल कैथा, जामुन, शरीफा, करौंदा, नींबू, अंजीर, गूलर, महुआ, शहतूत, जंगल जलेबी, अमरूद, अनार, इमली, बेर, किन्नू  आदि महत्वपूर्ण पौधे शामिल हैं। हमारी बड़ी महत्वपूर्ण धरोहर आयुर्वेद में इन सभी पौधों के औषधीय महत्व का जिक्र है। इन औषधीय पौधों में विभाग के साथ सरकार का भी सहजन पर खासा जोर है।

सहजन एक ऐसा पौधा है जिसके फूल, फल, पत्ती, तना यानी हर अंग में आरोग्यता प्रदान करने वाले पोषक तत्वों का खजाना है। यह इम्यूनिटी बूस्टर होने के साथ कई गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए संजीवनी के समान है। इन्हीं खूबियों की वजह से सहजन को चमत्कारी पौधा भी कहा जाता है। सरकार इसी मंशा के अनुरूप हर्बल मार्ग के साथ ही नवग्रह वाटिका, नक्षत्र वाटिका, पंचवटी, गंगावन, अमृतवन जैसी योजनाओं को भी प्रमुखता से लागू कर रही है। 

उल्लेखनीय है कि अपने पिछले पांच साल के कार्यकाल में पौधरोपण का रिकॉर्ड बनाने वाली उत्तर प्रदेश की योगी सरकार अपने इस बार के दूसरे कार्यकाल में भी पौधरोपण का नया कीर्तिमान रचने की पूरी तैयारी के साथ जुट गई है। जल्द ही प्रदेश भर में हर तरफ हरियाली नजर आएगी। बता दें कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पहले कार्यकाल में प्रदेश भर में हरियाली बढ़ाने के लिए 100 करोड़ से अधिक पौधे रोपे गए थे। इसका सकारात्मक नतीजा भी सामने है। स्टेट ऑफ फारेस्ट की रिपोर्ट 2021 के मुताबिक, उत्तर प्रदेश के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल के 9.23 फीसद हिस्सा वनावरण से आच्छादित है।

जबकि साल 2013 में यह 8.82 फीसदी ही था। योगी सरकार ने साल 2030 तक इस रकबे को बढ़ाकर 15 फीसदी करने का लक्ष्य रखा है, जिसे पूरा करने के लिए सरकार अगले पांच साल में 175 करोड़ पौधों का रोपेगी। इसी साल यानि साल 2022 में ही सरकार ने 35 करोड़ पौधों को लगाने का बीड़ा उठाया है, जिसकी तैयारी भी हो चुकी है और पौधरोपण भी शुरू हो चुका है।

पौधरोपण के इस महा अभियान में वन विभाग के अलावा 26 अन्य विभाग अपनी भागीदारी निभाएंगे। योगी सरकार ने हर विभाग का लक्ष्य पहले से ही निर्धारित कर रखा है। इस क्रम में सर्वाधिक 12 करोड़ 60 लाख पौधे लगाने की जिम्मेदारी वन विभाग का है, और इसके बाद दूसरी बड़ी जिम्मेदारी ग्राम्य विकास विभाग का है, जो 12 करोड़ 32 लाख पौधों का रोपण करेगा। इसके अलावा कृषि विभाग को 2 करोड़ 35 लाख पौधे रोपने हैं, तो वहीं उद्यान विभाग को 1 करोड़ 55 लाख पौधों को रोपने का जिम्मा मिला है। 

आज के समय में जब फलों और देशी दवाओं की उपयोगिता हर आदमी को महसूस होने लगी है, क्योंकि बीमारियां बढ़ती जा रही हैं, तब ऐसे समय में उत्तर प्रदेश की योगी सरकार का यह कदम दुनिया में सबसे अनोखा और सराहनीय ही कहा जाएगा, क्योंकि इससे देश में न सिर्फ फलों की कमी को पूरा किया जा सकेगा, बल्कि औषधियों की आपूर्ति भी आसानी से की जा सकेगी। कहा जाता है कि कोई पौधा लगाकर उसकी परवरिश करना एक बच्चे की परवरिश के समान होती है। ऐसे में योगी सरकार अगर करोड़ों फल-फूल और औषधीय गुणों वाले पौधे लगा रही है, तो यह पूरे प्रदेश के लोगों को पाने के समान तो है ही, साथ ही उन्हें स्वस्थ रखने की दिशा में ऐसा कदम है, जो पूरे देश में उठाया जाना चाहिए और बहुत पहले ही उठा लिया जाना चाहिए था।

लेकिन देर आए, दुरुस्त आए वाली तर्ज पर अगर आज उत्तर प्रदेश की योगी सरकार यह काम कर रही है, तो इससे पूरे देश के लोगों और सभी राज्य सरकारों को सबक लेना चाहिए तथा अपने-अपने राज्य में पौधरोपण के काम को शिद्दत के साथ आगे बढ़ाना चाहिए। हमें अगर खुद स्वस्थ रहना है और आने वाली पीढ़ियों को स्वस्थ बनाना है, तो इसके लिए पौधे लगाने से बढ़िया और कोई काम हो ही नहीं सकता। जैसा कि सभी जानते हैं कि हम जीने के लिए ऑक्सीजन लेते हैं और कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ते हैं।

वहीं इसके विपरीत पेड़-पौधे जीने के लिए कार्बन डाइऑक्साइड लेते हैं और ऑक्सीजन छोड़ते हैं, जो हमारी प्राणवायु है। हम सभी ने देखा कि कोरोना वायरस ने देश दुनिया में जब तबाही मचाई, तो मरीजों के लिए सबसे ज्यादा किल्लत जिस चीज की हुई, वो ऑक्सीजन ही थी। अगर हमें पेड़-पौधे मुफ्त में ऑक्सीजन देते हैं, वो भी हमारे द्वारा छोड़ी गई जहरीली हवा ग्रहण करके, तो इससे ज्यादा खुशी की बात और क्या हो सकती है। इसलिए ही कहा गया है कि वृक्ष हमारे मित्र हैं। मगर हमने अपने स्वार्थ में लगातार इन्हीं जीवन देने वाले पेड़ों को काटा है, लेकिन अब हमें जागना चाहिए और पेड़ों व जंगलों को बचाने के साथ-साथ नए पौधे भी लगाने चाहिए।  









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