हाथरस की घटना से शिवराज सिंह की बढ़ी चिंता बीजेपी को दलित वोटर खिसकने का डर

रोबिन पाराशर | विशेष संवाददाता
Updated: 06 Oct 2020 , 17:21:47 PM
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(रोबिन पाराशर/पब्लिक एशिया)
नई दिल्ली: हाथरस गैंग रेप का असर मध्यप्रदेश में होने वाले उपचुनाव में भी देखने को मिल रहा है। उत्तरप्रदेश में बीजेपी सरकार होने से मध्यप्रदेश बीजेपी को एससी वोटरों के खिसकने का डर सताने लगा है। गौरतलब है की उपचुनाव में ग्वालियर चंबल क्षेत्र की 16 विधानसभा सीटों पर चुनाव होने हैं।
उनमें से 6 सीटें अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित हैं।  जबकि 2 सीटें पिछडा वर्ग के लिए आरक्षित है। इन सभी सीटों पर 2018 चुनाव में कांग्रेस ने जीत का परचम लहराया था। यही वजह है कि बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियां एससी-एसटी वोट पाने के लिए अपनी ताकत झोंक रही हैं।


एससी-एसटी वोटरों को साधने में जुटी बीजेपी

बीजेपी ने उपचुनाव में एससी मोर्चे के जरिये वोटरों को साधने की कोशिश शुरू कर दी है। हाथरस की घटना को कांग्रेस ने जिस प्रकार मुद्दा बनाया है उससे बीजेपी को एससी वोटरों के खिसकने का डर सता रहा है। बीजेपी को डर है कि हाथरस की घटना का मध्यप्रदेश उपचुनाव में असर ना हो इसके लिए बीजेपी ने एससी मोर्चे के राष्ट्रीय अध्यक्ष लाल सिंह आर्य को उपचुनाव वाली सीटों पर मैदान पर उतार दिया है।


हाथरस की घटना को कांग्रेस बनाएगी मुद्दा

वहीं कांग्रेस हाथरस की घटना को मध्यप्रदेश उपचुनाव में मुद्दा बनाने की तैयारी कर चुकी है। कांग्रेस ने अपने एससी-एसटी कार्यकर्ताओं को बड़ी जिम्मेदारी दी है कि इस उपचुनाव में बीजेपी का दलित विरोधी चेहरा सामने लाये। इसके लिए कांग्रेस बीजेपी को दलित विरोधी भी बता रही है। कांग्रेस ने एससी-एसटी मोर्चे के जरिए सभी ग्वालियर चंबल क्षेत्र की 16 उपचुनाव वाली सीटों पर बीजेपी का दलित विरोधी चेहरा सामने लाएगी।


उपचुनाव में अहम होगा एससी-एसटी वोटर


दरअसल 2018 मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को एससी-एसटी वोटरों का साथ मिला था। यही वजह है कि जिन सीटों पर ग्वालियर क्षेत्र में उपचुनाव हो रहा है वह सभी कांग्रेस की झोली में आई थी। और अब बीजेपी नहीं चाहती है कि इस बार भी एससी वोटरों का हाथ कांग्रेस के साथ बना रहे। यही वजह है कि बीजेपी अब एससी वोटरों को साधने में जुटी हुई है। वहीं कांग्रेस भी मैदान में इस उम्मीद के साथ जुटी हुई है कि 2018 में एससी वोटरों का साथ मिला था और 15 साल बाद प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी थी। इसलिए फिर से एससी वोटरों को कांग्रेस बीजेपी से दूर कर अपने पक्ष में करने जुटी हुई है। आपको बता दें कि मध्यप्रदेश में 3 नवंबर को 
28 सीटों पर उपचुनाव होने हैं। जिसे लेकर कांग्रेस और बीजेपी में कड़ी टक्कर देखी जा रही है

मध्य प्रदेश में विधानसभा का गणित: आइए एक नजर विधानसभा के गणित पर डालते हैं। मध्य प्रदेश में कुल विधानसभा सीट 230 हैं। बहुमत के लिए 116 सीट चाहिए, जो राजनीतिक दल या गठबंधन विधानसभा की 116 या उससे ज्यादा सीटें जीतेगी वह मध्य प्रदेश में सरकार का गठन करेगी। वर्तमान में क्या है स्थिति: अभी बीजेपी के पास-107 सीट हैं, वहीं कांग्रेस के पास 88 सीट, बहुजन समाजवादी पार्टी के पास 2 सीट, समाजवादी पार्टी के पास 1 सीट है जबकि 4 अन्य / निर्दलीय विधायक हैं।




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