सहारनपुर। वर्तमान भौतिकतावादी युग में जहां प्रत्येक व्यक्ति अपने परिवार तक सीमित होकर रह गया, वहीं दूसरी ओर महंगाई के इस दौर में कोरोना
महामारी के बावजूद अनेक सामाजिक संस्थाओं द्वारा समाज सेवा की जा रही है। समाज सेवा के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभा रही समर्पण सामाजिक संस्था
ने फाउंडर प्रियवंदा राणा के नेतृत्व में घाड़ क्षेत्र में रहने वाले वंचित व शोषित लोगों की मदद का बीड़ा उठाया है।
देवबंद के पास स्थित भायला में पूर्व मंत्री राजेंद्र राणा के घर में जन्मी समाजसेविका व समर्पण सामाजिक संस्था की फाउंडर प्रियवंदा राणा को समाज सेवा का जज्बा व प्रेरणा बचपन में उस समय मिली जब प्रियवंदा राणा अपने पिता राजेंद्र राणा को देवबंद विधानसभा के विधायक व उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री के रूप में लोगों को राहत दिलाने के लिए अधिकारियों से बात करते हुए देखा करती थी।
सम्पन्न परिवार में जन्म लेने व कान्वेंट स्कूलों से शिक्षा हासिल करने वाली समाजसेविका प्रियवंदा राणा ने अपनी समाजसेवा की गतिविधियों को जारी रखने, गरीब व असहाय लोगों की मदद करने के लिए समर्पण सामाजिक संस्था की स्थापना की तथा शिवालिक पर्वत श्रेणियों की तलहटी में बसे उ.प्र. के सबसे पिछड़ा माने जाने वाले घाड़ क्षेत्र को अपनी कर्मभूमि बनाया। समाजसेविका प्रियवंदा राणा के नेतृत्व में समर्पण की टीम घाड़ क्षेत्र की जनता के मसीहा के रूप में सामने आई है।
चाहे गरीब बच्चों की पाठ्य सामग्री हो या फीस का मामला अथवा घाड़ क्षेत्र में होने वाली आगजनी की वजह से ग्रामीणों को खुले आसमान के नीचे रहने का मामला या घाड़ क्षेत्र की मजबूर ग्रामीण महिलाओं की आवास या अपनी बेटियों की शादी का मामला हो, समर्पण संस्था की फाउंडर प्रियवंदा राणा ने सूचना मिलते ही स्वयं मौके पर पहुंचकर मदद के लिए अपना हाथ आगे बढ़ाया, वहीं जिला व तहसील स्तर के प्रशासनिक अधिकारियों से सम्पर्क कर उनकी समस्या का समाधान कराने का हरसंभव प्रयास किया।
कोरोना महामारी के संक्रमण के दौरान भी समर्पण संस्था की टीम ने फाउंडर प्रियवंदा राणा के नेतृत्व में गांव दर गांव जाकर जहां ग्रामीणों को मॉस्क व सेनेटाइजर वितरित किए। वहीं ग्रामीणों को कोरोना महामारी से बचाव के लिए जागरूक भी किया। इतना ही नहीं महामारी के दौरान अनेक जरूरतमंद व
असहाय लोगों को खाद्यान्न सामग्री भी मुहैया कराई। समर्पण सामाजिक संस्था की फाउंडर प्रियवंदा राणा का कहना है कि राजनीतिक घराने में जनम लेने की वजह से उन्होंने बचपन से अपने पिता राजेंद्र राणा के पास लोगों को मदद के लिए आते देखा।
इसी दौरान उनके मन में समाज सेवा की भावना पनपी। उन्होंने बताया कि उनकी संस्था का लक्ष्य गरीब, असहाय व लाचार लोगों को दुःख-दर्द दूर कर उनके चेहरे पर खुशी लाना है। उन्होंने बताया कि महानगरों में तो अनेक संस्थाएं समाज सेवा के लिए आगे आ रही हैं परंतु ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले असहाय लोगों की कोई भी सुध नहीं ले रहा है। इसीलिए उनकी संस्था ने घाड़ क्षेत्र को अपनी कर्मभूमि बनाया है ताकि घाड़ क्षेत्र के लोगों के दुःख-दर्द को दूर किया जा सके।