140 करोड़ भारतीयों के विश्वास की शक्ति से चुनौती को चुनौती देते हैं: मोदी

संवाददाता | पब्लिक एशिया
Updated: 29 Jan 2024 , 18:34:11 PM
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नयी दिल्ली 29 जनवरी । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने पद के तनाव से दूर रहने और बड़े काम करने की शक्ति का खुलासा करते हुए आज कहा कि वह निराशा और नकारात्मक सोच से दूर रहते हैं और 140 करोड़ भारतीयों के विश्वास से शक्ति हासिल करके चुनौती को चुनौती देते हैं। इससे वह भ्रम से दूर हो कर स्पष्ट निर्णय ले पाते हैं और हर संकल्प पूरा कर पाते हैं।

श्री मोदी ने यहां भारत मंडपम में परीक्षा पे चर्चा (पीपीसी) के 7वें संस्करण के दौरान छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों के साथ संवाद के दौरान छात्रों के सवालों के जवाब में यह बात कही। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर प्रदर्शित कला और शिल्प प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया। श्री मोदी ने छात्रों को आयोजन स्थल यानी भारत मंडपम के महत्व को समझाया और उन्हें जी20 शिखर सम्मेलन के बारे में बताया जहां दुनिया के सभी प्रमुख नेता इकट्ठे हुए और दुनिया के भविष्य पर चर्चा की।

प्रधानमंत्री तनाव से कैसे निपटते हैं और सकारात्मक रहते हैं, यह सवाल तमिलनाडु में चेन्नई के मॉडर्न सीनियर सेकेंडरी स्कूल के छात्र एम वागेश ने प्रधानमंत्री से पूछा। उत्तराखंड में ऊधमसिंह नगर के डायनेस्टी मॉडर्न गुरुकुल एकेडमी की छात्रा स्नेहा त्यागी ने प्रधानमंत्री से पूछा ‘हम आपकी तरह सकारात्मक कैसे हो सकते हैं?’ उन्होंने कहा कि यह जानकर अच्छा लगा कि बच्चे प्रधानमंत्री के पद के दबावों को जानते हैं। उन्होंने कहा कि हर किसी को अप्रत्याशित परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है।

परीक्षा से जुड़े कई प्रश्नाें के बाद प्रधानमंत्री ने कहा कि कोई भी उनसे बचकर प्रतिक्रिया कर सकता है, ऐसे लोग जीवन में बहुत कुछ हासिल नहीं कर पाते हैं। “मेरा दृष्टिकोण जो मुझे उपयोगी लगा वह यह है कि मैं हर चुनौती को चुनौती देता हूं। मैं चुनौती के पार होने का निष्क्रिय रूप से इंतजार नहीं करता। इससे मुझे हर समय सीखने का मौका मिलता है। नई परिस्थितियों से निपटना मुझे समृद्ध बनाता है।”

उन्होंने यह भी कहा, ''मेरा सबसे बड़ा विश्वास ये है कि मेरे साथ 140 करोड़ देशवासी हैं। यदि 10 करोड़ चुनौतियाँ हैं, तो अरबों समाधान भी हैं। मैं खुद को कभी अकेला नहीं पाता हूं और सब कुछ मुझ पर है, मैं हमेशा अपने देश और देशवासियों की क्षमताओं से अवगत रहता हूं। यह मेरी सोच का मूल आधार है।” उन्होंने कहा कि हालांकि उन्हें सबसे आगे रहना होगा और गलतियां भी उनकी होंगी लेकिन देश की क्षमताएं ताकत देती हैं। उन्होंने कहा, “जितना मैं अपने देशवासियों की क्षमताएं बढ़ाता हूं, चुनौतियों को चुनौती देने की मेरी क्षमता बढ़ती है।”

प्रधानमंत्री ने गरीबी के मुद्दे का उदाहरण देते हुए कहा कि जब गरीब खुद गरीबी हटाने की ठान लेंगे तो गरीबी चली जाएगी। उन्होंने कहा, “उन्हें पक्का घर, शौचालय, शिक्षा, आयुष्मान, पाइप से पानी जैसे सपने देखने के साधन देना मेरी ज़िम्मेदारी है। एक बार जब वह दैनिक अपमान से मुक्त हो जाएंगे, तो वह गरीबी उन्मूलन के प्रति आश्वस्त हो जाएंगे।”। उन्होंने कहा कि उनके 10 साल के कार्यकाल में 25 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आये।

प्रधानमंत्री ने कहा कि व्यक्ति को चीजों को प्राथमिकता देने का ज्ञान होना चाहिए। यह अनुभव और हर चीज़ का विश्लेषण करने के साथ आता है। उन्होंने यह भी कहा कि वह अपनी गलतियों को सबक मानते हैं। उन्होंने कोविड महामारी का उदाहरण दिया और कहा कि बेकार बैठने के बजाय उन्होंने लोगों को एकजुट करने और दीया या 'थाली' मांगने जैसे कृत्यों के माध्यम से उनकी सामूहिक ताकत बढ़ाने का विकल्प चुना। इसी तरह, खेल की सफलता और सही रणनीति, दिशा और नेतृत्व का जश्न मनाने के परिणामस्वरूप अंतरराष्ट्रीय आयोजनों में बड़े पैमाने पर पदक प्राप्त हुए हैं। उन्होंने कहा कि उचित शासन के लिए भी नीचे से ऊपर तक उत्तम सूचना की व्यवस्था और ऊपर से नीचे तक उत्तम मार्गदर्शन की व्यवस्था होनी चाहिए।

प्रधानमंत्री ने जीवन में निराश न होने पर जोर दिया और कहा कि एक बार यह निर्णय लेने के बाद केवल सकारात्मकता ही बचती है। प्रधानमंत्री ने कहा, ''मैंने अपने जीवन में निराशा के सभी दरवाजे और खिड़कियां बंद कर दी हैं।'' उन्होंने कहा कि जब कुछ करने का संकल्प मजबूत हो तो निर्णय लेना आसान हो जाता है। उन्होंने कहा, “जब कोई स्वार्थी मकसद नहीं होता तो निर्णय में कभी भ्रम नहीं होता।” प्रधानमंत्री ने वर्तमान पीढ़ी के जीवन को आसान बनाने पर जोर देते हुए विश्वास जताया कि आज की पीढ़ी को अपने माता-पिता द्वारा झेली जाने वाली कठिनाइयों का सामना नहीं करना पड़ेगा। प्रधान मंत्री ने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि सरकार एक ऐसा राष्ट्र बनाने का प्रयास कर रही है जहां न केवल वर्तमान बल्कि आने वाली पीढ़ियों को चमकने और अपनी क्षमता दिखाने का मौका मिले। यह पूरे राष्ट्र का सामूहिक संकल्प होना चाहिए।

सकारात्मक सोच की शक्ति पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह सबसे नकारात्मक परिस्थितियों में भी सकारात्मक परिणाम देखने की ताकत देती है। प्रधानमंत्री ने सभी छात्रों को प्रोत्साहित करते हुए अपनी बातचीत समाप्त की और उन्हें अपने जीवन के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए शुभकामनाएं दीं।

इस अवसर पर अन्य लोगों के अलावा केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान भी उपस्थित थे।





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