बदरीनाथ में भगवान के भोग, प्रसाद की बिलकुल भिन्न परम्परा

पब्लिक एशिया | Public Asia
Updated: 23 Sep 2024 , 21:35:24 PM
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चमोली। भारत वर्ष के चार धामों में से एक विश्व प्रसिद्ध उत्तराखण्ड के चमोली जिले में स्थित बदरीनाथ धाम में भगवान बदरीनाथ विशाल के भोग प्रसाद की भिन्न और विशिष्ट परम्परा है। यहाँ भगवान को बाल भोग में खीर‌ प्रसाद, तो दिन में महाभोग में चना और अरहर की दाल, चावल का भात और केशर भात अर्पित किया जाता है। रात्रि में शयन आरती के समय भगवान बदरी विशाल को दूध, भात अर्पित किया जाता है। भगवान बदरी विशाल को दिन में लगाये गये महाभोग के बाद प्रसादम के रूप में चावल भात, केशर भात और दाल को प्राप्त करना सौभाग्य माना जाता है। यहाँ भगवान को लगने वाले हर भोग में बदरीनाथ की पवित्र तुलसी अवश्य शामिल होती है।


बदरीनाथ में भगवान बदरी विशाल के बाल भोग, महाभोग और रात्रि समय भोग भोजन का अलग अलग समय भी निर्धारित है। भगवान के भोग तैयार करने में शुद्धता और पवित्रता का विशेष ध्यान रखा जाता है। हिमालय की पर्वत श्रृंखलाओं पर स्थित बदरीनाथ धाम में नर नारायण पर्वत के मध्य अलकनंदा (विष्णु पदी) नदी के तट पर, भगवान बदरी विशाल नारायण का शालिग्राम शिला पर पवित्र और प्राण मय विग्रह है। जिसे साक्षात श्री हरि नारायण बदरी विशाल कहा जाता है। बदरीनाथ मंदिर के रावल‌ मुख्य पुजारी दक्षिण भारत के केरल प्रांत के नम्बूदरी ब्राह्मण होते हैं। इस धाम को ''मुक्तिप्रदा'' के नाम से जाना जाता है। त्रेता युग में इस क्षेत्र को ''योग सिद्ध'' और द्वापर में ''विशाला तीर्थ'' कहा गया है।

पवित्र बदरीनाथ धाम में भगवान बदरीनाथ विशाल के भोग प्रसाद का महात्म्य और पवित्रता का विशेष ध्यान रखा जाता है। बदरीनाथ मंदिर के पूर्व धर्माधिकारी पंडित भुवन चंन्द्र उनियाल बताते हैं कि भगवान बदरीनाथ विशाल को नित्य प्रतिदिन सुबह बाल भोग, दिन में महाभोग और रात्रि में शयन पूर्व भोग प्रसाद लगता है।

भगवान बदरीनाथ विशाल को प्रातः 8.30 पर लगने वाले बाल भोग में खीर भोग, दोपहर 12.30 पर लगने वाले महाभोग में चावल भात, चना अरहर की दाल, केशर भात और रात्रि में शयन आरती के समय दूध भात का भोग लगाया जाता है। बदरीनाथ में भगवान के हर प्रसाद भोग मे बदरीनाथ की पवित्र तुलसी का महात्म्य है। बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेन्द्र अजय बताते हैं कि भगवान बदरी विशाल के भोग प्रसाद में शुद्धता और पवित्रता का विशेष ध्यान रखा जाता है।

बदरीनाथ में पौराणिक परम्पराओं के अनुसार चने की दाल, इलाइची मीठा दाना, चंदन और बदरीनाथ की पवित्र तुलसी ही प्रसाद है। इस प्रसाद के एक एक कण का महात्म्य है। बदरीनाथ के प्रसाद के साथ ही बदरीनाथ जी का चरणामृत का भी विशिष्ट महात्म्य और पवित्रता है। बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के उपाध्यक्ष किशोर पंवार और बदरीनाथ में डिमरी पुजारी ज्योतिष डिमरी बताते हैं कि भगवान बदरीनाथ के भोग प्रसादम की तरह पवित्र चरणामृत की भी विशिष्ट पवित्रता और मान्यता है।





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