अभद्र भाषा के इस्तेमाल पर भाजपा और आप का विरोध प्रदर्शन

पब्लिक एशिया | विशेष संवाददाता
Updated: 18 Jul 2021 , 19:30:38 PM
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नई दिल्ली संवाददाता। दीन दयाल उपाध्याय मार्ग पर उत्तराखंड के विधानसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और आम आदमी पार्टी (आप) के कार्यकर्ताओं ने एक दूसरे के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। हालांकि दोनों पार्टी के कार्यकर्ताओं को पुलिस ने एक दूसरे के कार्यालय पर जाने से रोक दिया। आप के कार्यकर्ताओं का आरोप है कि भाजपा नेताओं ने पर्यावरणविद सुंदरलाल बहुगुणा के खिलाफ अभद्र भाषा का प्रयोग किया है।वहीं, भाजपा का आरोप है कि आप ने उत्तराखंड के लोगों पर अभद्र बयानबाजी की है, जिसको लेकर रविवार को दोनों पार्टी के कार्यकर्ता सड़कों पर प्रदर्शन के लिए उतरे। पुलिस की बैरिकेडिंग के चलते दोनों पार्टी के कार्यकर्ता एक दूसरे से नहीं टकरा सके।

सुबह नौ बजे से ही आप के कार्यालय पर कार्यकर्ताओं का एकत्रित होना शुरू हो गया था। इसके बाद कार्यकर्ता प्रदर्शन के लिए भाजपा के राष्ट्रीय कार्यालय पर जाने लगे। हालांकि पुलिस ने उन्हें रोक दिया, जिसके बाद उन्होंने सड़क पर ही भाजपा के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। कार्यकर्ताओं का आरोप है कि भाजपा नेता अभद्र भाषा का इस्तेमाल करते हैं। उनका कहना है कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सुंदरलाल बहुगुणा को भारत रत्न देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है, जिसे भाजपा राजनीति से जोड़कर देख रही है।आरोप है कि भाजपा नेता ने शनिवार को 'चिपको आंदोलन' के प्रणेता सुंदरलाल बहुगुणा के लिए भारत रत्न की मांग करने को लेकर केजरीवाल पर निशाना साधा था, जिसके बाद केजरीवाल ने पलटवार करते हुए भाजपा पर बहुगुणा को लेकर "अपमानजनक भाषा' का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है।

उधर, भाजपा केंद्रीय रक्षा एवं पर्यटन राज्य मंत्री अजय भट्ट ने प्रदर्शन के दौरान कहा कि उत्तराखंड की धरती वीरों की धरती कहलाती है क्योंकि यहां हर घर में सैनिक हैं और ऐसी पावन धरती का आम आदमी पार्टी लगातार अपमान कर रही है। उनके राष्ट्रीय प्रवक्ता ने जिस तरह से सैनिकों के लिए अभद्र शब्दों का प्रयोग कर उनका अपमान किया है, यह सबसे ज्यादा आपत्तिजनक और खेदजनक है जिसका नाम लेने में भी शर्म आती है। उन्होंने कहा कि भाजपा दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल से मांग करती हैं कि अभद्र शब्द बोलने वाले आप प्रवक्ता को तुरंत पार्टी से निकाला जाए। अगर ऐसा नहीं करते हैं तो एक बड़े आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।





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