महापौर चुनाव में एल्डरमैन को मतदान का अधिकार नहीं, 24 घंटे में चुनाव की तिथि तय करें

public asia | पब्लिक एशिया ब्यूरो
Updated: 17 Feb 2023 , 23:56:13 PM
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उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को दिल्ली के उपराज्यपाल के कार्यालय को महापौर के चुनाव के लिए 24 घंटे के अंदर नोटिस जारी करने का आदेश देते हुए स्पष्ट रूप से कहा कि मनोनीत 10 सदस्य (एल्डरमैन) चुनाव में मतदान नहीं कर सकते हैं। मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पी. एस. नरसिम्हा और जे. बी. पारदीवाला की पीठ ने कहा कि संविधान के अनुसार दिल्ली नगर निगम के महापौर पद के चुनाव में मनोनीत सदस्यों को वोटिंग का अधिकार नहीं है।
पीठ ने स्पष्ट तौर पर कहा कि निगम सदन की पहली बैठक में ही महापौर का चुनाव कराया जाए। निर्वाचित महापौर द्वारा ही उपमहापौर और स्थायी समिति का चुनाव कराएगा।

शीर्ष न्यायालय की तीन सदस्यीय पीठ ने पिछली सुनवाई के दौरान संकेत दिया था कि मनोनीत सदस्य सदस्यों के पास मतदान का कोई अधिकार नहीं है। पिछली सुनवाई 13 फरवरी के दौरान उपराज्यपाल कार्यालय की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल संजय जैन और भारतीय जनता पार्टी का पक्ष रख रहे वकील मनिंदर सिंह का अनुरोध स्वीकार करते हुए पीठ ने कहा था कि वह इस मामले पर मामले अगली सुनवाई 17 फरवरी को करेगी।

पीठ के समक्ष याचिकाकर्ता आम आदमी पार्टी की महापौर पद की उम्मीदवार शेली ओबेरॉय का पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने तर्क दिया था कि संविधान का अनुच्छेद 243-आर में स्पष्ट है कि मनोनीत सदस्यों को मतदान में भाग लेने का अधिकार नहीं है।
पीठ ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल श्री जैन से पूछा था कि क्या वह इस तथ्य पर विवाद कर रहे हैं कि मनोनीत सदस्यों को मतदान नहीं करना चाहिए। इस पर श्री जैन ने बहस के लिए वक्त मांगते हुए कहा था कि 16 फरवरी को होने वाला चुनाव 17 फरवरी के बाद हो सकता है।
भारतीय जनता पार्टी के महापौर पद उम्मीदवार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने भी शीर्ष अदालत से इस मामले में बहस करने के लिए एक अवसर और कुछ समय देने की मांग की थी।

शीर्ष अदालत ने 08 फरवरी को दिल्ली के उपराज्यपाल कार्यालय समेत अन्य को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया था।
पीठ ने उपराज्यपाल कार्यालय के अलावा दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के प्रो-टेम पीठासीन अधिकारी, एमसीडी आयुक्त के कार्यालयों को नोटिस जारी कर महापौर चुनाव कराने में देरी पर जवाब देने को कहा था।
महापौर चुनाव में देरी के खिलाफ दायर आम आदमी पार्टी की मेयर पद की उम्मीदवार की याचिका में कई मांगें की गई हैं।

याचिकाकर्ता ने एक सप्ताह के भीतर नगर निगम सदन की बैठक बुलाने, महापौर के चुनाव के पूरा होने तक नगर निगम सदन की कार्यवाही स्थगित नहीं करने और यह घोषणा करने की मांग की गई है कि निगम के मनोनीत सदस्य महापौर चुनाव में मतदान का अधिकार नहीं हैं।
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ के समक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता सिंघवी ने कहा था, "चुनाव दिसंबर, 2022 में होने थे, लेकिन वर्तमान स्थिति यह है कि महापौर, उपमहापौर और स्थायी समिति के सदस्यों के चुनाव नहीं हुए हैं।"

दिल्ली नगर निगम सदन की बैठक 06 फरवरी को तीसरी बार स्थगित कर दी गई थी। भारी हंगामे के बीच भारतीय जनता पार्टी और आप के कई पार्षदों के बीच हाथापाई के बाद महापौर का चुनाव टाल दिया गया था।
पिछले साल दिसंबर में हुए एमसीडी चुनाव में आप ने 250 वार्डों में से 134 पर जीत दर्ज की थी, जबकि भाजपा को 104 वार्डों में जीत हासिल हुई थी। इसके अलावा उपराज्यपाल ने 10 सदस्यों (एल्डरमैन) को मनोनीत किया है।





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