नई दिल्ली संवाददाता। मानसून सत्र के दौरान कृषि कानून विरोधी प्रदर्शनकारी किसान दिल्ली में संसद भवन के सामने धरना देने पर अड़े हैं। इससे पहले संसद भवन के बाहर धरना देने के मसले पर सोमवार को दिल्ली पुलिस व संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक टाल दी गई है। मोर्चा ने मानसून सत्र के दौरान 22 जुलाई से हर रोज दो सौ लोगों के साथ संसद भवन के बाहर धरना -प्रदर्शन करने की घोषणा कर रखी है, जबकि दिल्ली पुलिस ने अब तक इसके लिए औपचारिक तौर पर अनुमति नहीं दी है। दिल्ली पुलिस ने सरकार के कोविड दिशानिर्देंशों का हवाला देते हुए मोर्चा को धरना देने के लिए किसी अन्य वैकल्पिक जगह पर विचार करने को कहा है और धरने में शामिल होने वाले लोगों की संख्या में कटौती करने को कहा है। इस बाबत रविवार को सिंघु बार्डर के निकट दिल्ली पुलिस के संयुक्त कमिश्नर जसपाल सिंह व बाहरी उत्तरी जिले के डीसीपी राजीव रंजन सिंह ने संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं के साथ बैठक की थी, लेकिन मोर्चा ने बैठक में दिल्ली पुलिस के प्रस्तावों को लेकर कोई सकारात्मक रुख नहीं दिखाया था।वहीं, कहा जा रहा है कि दिल्ली पुलिस के प्रस्ताव को नहीं मानने पर आंदोलनकारियों व पुलिस के बीच तक़रार बढ़ सकती है। दरअसल, 22 जुलाई से दो सौ लोगों के साथ संसद के बाहर धरना देने का संयुक्त किसान मोर्चा ने की है घोषणा। पुलिस ने मोर्चा को अन्य जगह पर धरना देने और धरना देने वालों की संख्या कम करने को कहा है, लेकिन अब तक मोर्चा इसके लिए तैयार नहीं हुआ है। इसको लेकर मंगलवार को दोनों पक्षों के बीच बैठक हो सकती है। वहीं, 26 जनवरी को हुई हिंसा को देखते पुलिस सतर्क है। संसद जाने वाले हर रास्ते पर सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त
उधर, मानसून सत्र के दौरान कृषि कानून विरोधी प्रदर्शनकारी कहीं दिल्ली में घुसकर व्यवधान पैदा न कर सकें। इसे लेकर दिल्ली पुलिस अतिरिक्त सतर्कता बरत रही है। संसद की तरफ जाने वाले सभी मार्गो पर सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए गए हैं। पुलिस आयुक्त (सीपी) बालाजी श्रीवास्तव ने रविवार रात खुद तमाम वरिष्ठ अधिकारियों के साथ सुरक्षा व्यवस्था का जायजा किया। साथ ही सिंघु व गाजीपुर सीमा सहित लाल किला का दौरा कर अधिकारियों को जरूरी दिशा-निर्देश दिए।